♥♥♥♥♥♥♥ (1) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥ बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर... क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है.. ♥♥♥♥♥♥♥ (2) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥ मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा, चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना ।। ♥♥♥♥♥♥♥ (3) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥ ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई ऐब नहीं है पर सच कहता हूँ मुझमे कोई फरेब नहीं है ♥♥♥♥♥♥♥ (4) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥ जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!. ♥♥♥♥♥♥♥ (5) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥ एक घड़ी ख़रीदकर हाथ मे क्या बाँध ली.. वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे..!! ♥♥♥♥♥♥♥ (6) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥ सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से.. पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला !!! ♥♥♥♥♥♥♥ (7) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥ सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब.... बचपन वाला 'इतवार' अब नहीं आता | ♥♥♥♥♥♥♥ (8) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥ शौक तो माँ-बाप के पैसो से पूरे होते हैं, अपने पैसो से तो बस ज़रूरतें ही पूरी हो पाती हैं.. ♥♥♥♥♥♥♥ (9) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥ जीवन की भाग-दौड़ में - क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है ? हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है.. ♥♥♥♥♥♥♥ (10) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥ एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम और आज कई बार...
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