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Maa aaj bhi rota hun jab tere yaad aati Hai... Is pather k jamane me tumhari  Komal se  anchal yaad ati Hai maa...  Neend Apni Bhula K Sulaya Hum Ko Aanson Apnay Gira K Hansaya Hum Ko... Aaj bhi woh din yaad hai Jab choot muje lagti thi to dard tujhe hoti thi maa... Ek Chhoti Si Phoonk Se Teri Sabhi Dard Mere Hote  jaty Thy Ghum Aaj Bhi Koi Chot Lage To Yaad Aati Ho tum maa... Aaj bhi Yaad Hai maa woh din jab tu Mujhe aapne bhudapa ka pension bulaya karti thi maa... Umar Bhar Teri Mohabbat Meri Khidmatgar Rhi maa.. Main Teri Khidmat Ke Qabil Jb Howa Tu Chal Basi maa.. Kone Ko Thaame Tere Aanchal Ke Be-Fikra Main So Jaata Tha maa... Mere Dil Mein Kya Hai Tere Bina Maa Koi Samjha Hi Naa Pata Tha maa... Mere har ek choti badi galtiyan yhe kah kar chupa leti thi maa k abhi bachpana Hai bada hane par mera beta kudh samjhdar ho jayega... Aaj un galtiyeon ko jab sochta  hun to tum yaad aati ho maa... Aaj Bhi Koi Saaz Lage To Yaad Aati ...
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जैसा सवाल वैसा जवाब

बादशाह अकबर अपने मंत्री बीरबल को बहुत पसंद करता था। बीरबल की बुद्धि के आगे बड़े-बड़ों की भी कुछ नहीं चल पाती थी। इसी कारण कुछ दरबारी बीरबल से जलते थे। वे बीरबल को मुसीबत में फँसाने के तरीके सोचते रहते थे। अकबर के एक खास दरबारी ख्वाजा सरा को अपनी विद्या और बुद्धि पर बहुत अभिमान था। बीरबल को तो वे अपने सामने निरा बालक और मूर्ख समझते थे। लेकिन अपने ही मानने से तो कुछ होता नहीं! दरबार में बीरबल की ही तूती बोलती और ख्वाजा साहब की बात ऐसी लगती थी जैसे नक्कारखाने में तूती की आवाज़। ख्वाजा साहब की चलती तो वे बीरबल को हिंदुस्तान से निकलवा देते लेकिन निकलवाते कैसे! एक दिन ख्वाजा ने बीरबल को मूर्ख साबित करने के लिए बहतु सोचे -विचार कर कुछ मुश्किल प्रश्न सोच लिए। उन्हें विश्वास था कि बादशाह के उन प्रश्नों को सुनकर बीरबल के छक्के छूट जाएँगे और वह लाख कोशिश करके भी संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाएगा। फिर बादशाह मान लेगा कि ख्वाजा सरा के आगे बीरबल कुछ नहीं है। ख्वाजा साहब अचकन-पगड़ी पहनकर दाढ़ी सहलाते हुए अकबर के पास पहुँचे और सिर झुकाकर बोले, "बीरबल बड़ा बुद्धिमान बनता है। आप भी उसकी लंबी-चौड़ी बातों के ध...
मुस्कारने के मकसद न ढूँढ, वर्ना जिन्दगी यूँ ही कट जाएगी, कभी बेवजह भी मुस्कुरा के देख, तेरे साथ साथ ‪‎जिन्दगी‬ भी मुस्कुरायेगी।

जवानी का लालच देकर बचपन ले गया

बस यु ही दो मसले जिन्दगी भर हल ना हुये!! ना नींद पुरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुये !! "शिकायते तो बहुत है तुझसे अ जिन्दगी,, पर चुप इसलिए हु कि, जो दिया तुने वो भी बहुतों को नसीब नहीं होता "! अजीब सौदागर है ये वक्त भी !! जवानी का लालच देकर बचपन ले गया..... अब अमीरी का लालच दे के जवानी ले जायेगा........ लोट आता हू वापस घर की तरफ...हर रोज थका हारा आज तक समझ नहीं आया की जीने के लिये काम करता हूं या काम करने के लिये जिता हूं! बचपन में सबसे अधिक बार पुछा गया सवाल बड़े होकर क्या बनना है? जवाब अब मिला है -फिर से बच्चा बनना है

Ek Sacchi Kahani.....

Kabhi Kabhi Apni Ankho Pe Yakeen Nhi Aata Hai... Kaise Koi Jaan Se Pyara Khud Hi Dil Tod Jata Hai... Aisi Hi Kahani Mai Aap Sabko Sunata Hu... Kaise Bikhra Kisi Ka Wajood Ye Aapko Bata Hu... Ek Ladka Jisne Apna Sab Kuchh Bhoola Diya Apni Mohabbat Ke Liye... Uski Mohabbat Use Chhod Gyi Kisi Dusre Ke Liye... Ladka Ladki Ko Khub Ghumata Tha... Uski Ek Khwahish Ke Liye Apni Jaan Tak Lutata Tha... Kisi Kaam Me Ladke Ka Man Nhi Lagta Tha... Har Taraf Use Ladki Ka Ahsas Hi Thagta Tha... Ladki Bhi Uske Pyar Ka Khoob Fayda Uthati Thi... Apne Jhothe Ansuo Ko Dikha Kar Ladke Ko Khoob Rulati Thi... Na Smjh Uske Is Tamashe Ko Hi Pyar Smjh Baitha Tha... Uske Siva Kisi Aur Ka Nhi Hoga Har Waqt Yahi Kahta Tha... Magar Usko Na Pata Tha Ke Kismat Kya Mod Legi... Jise Wo Jaan Kahta Hai Wo Kisi Aur Ke Liye Muh Mod Legi... Akhir Ladki Ne Use Achanak Bhool Jane Ko Kah Diya... Jab Wajah Puchhi To Bahana Majboorio Ka Bna Diya... Kahne Lagi Ghar Wale Meri Shadi Kahi Aur Kar Rahe Hai... Mujhe Tumse Dur Jane K...
Samjha Na Koi Dil Ki Baat Ko, Dard Duniya Ne Bin Soche Hi De Diya, Seh Gaye Jo Hum Dard Ko Chupke Se, To Phir Humko Pathar Dil Keh Diya.
♥♥♥♥♥♥♥ (1) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥ बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर... क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है.. ♥♥♥♥♥♥♥ (2) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥ मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा, चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना ।। ♥♥♥♥♥♥♥ (3) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥ ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई ऐब नहीं है पर सच कहता हूँ मुझमे कोई फरेब नहीं है ♥♥♥♥♥♥♥ (4) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥ जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!. ♥♥♥♥♥♥♥ (5) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥ एक घड़ी ख़रीदकर हाथ मे क्या बाँध ली.. वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे..!! ♥♥♥♥♥♥♥ (6) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥ सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से.. पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला !!! ♥♥♥♥♥♥♥ (7) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥ सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब.... बचपन वाला 'इतवार' अब नहीं आता | ♥♥♥♥♥♥♥ (8) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥ शौक तो माँ-बाप के पैसो से पूरे होते हैं, अपने पैसो से तो बस ज़रूरतें ही पूरी हो पाती हैं.. ♥♥♥♥♥♥♥ (9) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥ जीवन की भाग-दौड़ में - क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है ? हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है.. ♥♥♥♥♥♥♥ (10) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥ एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम और आज कई बार...
                                                 girtyin hain shahwar maidane jang me                                                  woh tufl kya gere jo ghthno k bal chlyin..........
हम अपनी ‘ज़िंदगी’ मे हर किसी को ‘अहमियत’ देते है . क्योंकि जो अच्छे होंगे वो साथ देंगे.. और जो बुरे होंगे वो सबक देंगे..